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शीतल देवी तीरंदाज का जीवन परिचय | Sheetal Devi Biography In Hindi

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शीतल देवी (Sheetal Devi) एक भारतीय पैरा तीरंदाज है जिनके दोनो हाथ नही है। 

शीतल देवी बिना हाथों वाली एकमात्र अंतरराष्ट्रीय पैरा-तीरंदाजी चैंपियन हैं। 

बिना हाथों के ही पेड़ो पर चढ़ने में महारथ थी शीतल को और हाथो का काम पैरों से करती है। 

शीतल देवी (Sheetal Devi)
शीतल देवी (Sheetal Devi)

शीतल देवी तीरंदाज की जीवनी | Sheetal Devi Archer Biography In Hindi 

पूरा नाम (Full Name) शीतल देवी (Sheetal Devi)
पेशा (Profession)  तीरंदाज (Archer)
कोच/मेंटर/गुरु अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवान 
शैक्षणिक योग्यता (Education Qualification) 12वीं पास 

शीतल देवी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा 

शीतल का जन्म 10 मई 2007 को जम्मू कश्मीर के लोइधर, किश्तवाड़ जिले में हुआ था। इनके पिताजी एक किसान और माताजी एक बकरी चराने वाली थी। 

शीतल की एक बहन है शिवानी जो उनसे छोटी है।

शीतल की बचपन से ही पढ़ने में काफी रुचि थी लेकिन उन्हें डर लगा रहता था की कहीं वे अपनी दिव्यंगता के कारण मजाक ना बन जाए।

लेकिन उनके परिवार के साथ दोस्तों के भी साथ ने उन्हे आगे बढ़ने में मदद की और वे अब 12वीं पास हो चुकी है। 

फ़ोकोमेलिया नामक दुर्लभ बीमारी से है ग्रसित 

फ़ोकोमेलिया एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण बच्चे बिना हाथों के पैदा होते है और शीतल इसी बीमारी से ग्रस्त थी। 

कर्नल शिशपाल सिंह ने लिया गोद

11 राष्ट्रीय राइफल्स भारतीय सेना कर्नल शिशपाल सिंह की कमान ने शीतल को गोद लिया। 

इन्होंने ही इन्हे अलग अलग एक्टिविटी में भाग लेना सिखाया और धीरे धीरे जैसे वे कामयाब होने लगी तो वे अब दिव्यांग बच्चो के माता पिता के लिए मिशाल बन गई है। 

भारतीय सेना के कोचों द्वारा किया गया ट्रेन 

भारतीय सेना द्वारा आयोजित 2021 युवा कार्यक्रम में सेना के कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवान ने शीतल का आत्मविश्वास देखा और उन्हे प्रशिक्षित करने की ठानी। 

सबसे पहले कोच ने उनकी मदद प्रोस्थेटिक्स के साथ करना चाही लेकिन डॉक्टर के माना करने के बाद उनका यह सपना भी पूरा नहीं हो सका। 

लेकिन शीतल ने हार नहीं मानी और कोच को यह कहकर आश्चर्य में डाल दिया की उन्हे अपने पैरों से पेड़ो में चढ़ने में महारथ हासिल है। 

लेकिन उसके बाद भी कोच के पास कठिनाई आई क्योंकि उन्होंने पहले कभी बिना हाथ वाले एथलीट की ट्रेनिंग नही दी थी।

लेकिन उसके बाद शोध किया और उन्हे मैट स्टुट्ज़मैन के बारे में पता चला जो बिना हाथों के ही तीरंदाजी करते थे और पैरालिंपिक में भी भाग ले चुके थे। 

उसके बाद उन्हें ट्रेनिंग दी गई और शीतल की मेहनत रंग लाई जब मात्र 11 महीने की ट्रेनिंग के बाद उन्होंने एशियाई पैरा खेलों में महिलाओं के कंपाउंड धनुष स्पर्धा में भाग लिया और भारत के लिए 2 स्वर्ण पदक अपने नाम किए। 

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शीतल देवी की मिले पुरस्कार और सम्मान मेडल

  • इन्हे साल 2022 में भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार दिया गया। 
  • साल 2023 में इन्हे एशियाई पैरालम्पिक समिति ने वर्ष का सर्वश्रेष्ठ युवा एथलीट घोषित किया। 

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मैं निशु राजपूत अलवर राजस्थान का रहने वाला हूं पढ़ाई में एम.ए. कर चुका हूं और बहुत सालों से क्रिकेट से संबंधित और स्टूडेंट्स के लिए सरकारी नौकरी और योजनाओं की जानकारी दे रहा हूं।

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