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नौलखा बावड़ी के बारे में इतिहास से लेकर बनावट तक पूरी जानकारी

Complete information about Naulakha Bawdi from history to structure

राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित नौलखा बावड़ी का निर्माण 1586 ई. में महारावल आसकरण की पत्नी प्रेमल देवी ने बनवाया था। 

  • यह बावड़ी डूंगरपुर जिले से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • नौलखा बावड़ी के वास्तुकार का नाम लीलाधर है।
  • प्रेमल देवी का पीहर का नाम तारा बाई था। 
  • पहले यहां पर महारावल पूंजा द्वारा बनवाए महल और सुंदर बाग थे। 
  • नौलखा बावड़ी को बनाने में आए अत्यधिक खर्च के कारण इसकी नौलखा बावड़ी कहा जाता है। 

नौलखा बावड़ी का इतिहास 

इस बावड़ी पर लगे परेवा पत्थर पर लिखे शिलालेखों में वंश परिचय के बाद तारा बाई की तीर्थ यात्रा की चर्चा की गई है। 

इसमें कहा गया है कि तारा बाई ने आबू, द्वारिका और एकलिंग जी की यात्रा करके दर्शन किए है। 

बावड़ी के मुख्य शिल्पी जसवंत पुत्र लीलाधर को वस्त्र, वाहन और भूमि देने तथा वैरामगिर को भी भूमि देने का वर्णन किया गया है। 

इसमें यह भी कहा गया है कि बावड़ी को खोदने का मुहूर्त 1581 ई. को हुआ और इसकी प्रतिष्ठा 1586 ई. में की गई। 
और सन् 1602 ई. में व्यास बैकुंठ ने इसकी यह प्रशस्ति लिखी। 

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