झंडा ऊंचा रहे हमारा 🇮🇳
26 जनवरी को ध्वजारोहण क्यों नहीं किया जाता?
क्यों 26 जनवरी को राष्ट्रपति ही झंडा फहराते है?
15 अगस्त को क्यों प्रधानमंत्री ही झंडा रोहण करते है?
सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिलेंगे तो इसे पूरा जरूर पढ़ें।
झंडा फहराना और ध्वजारोहण में क्या अंतर होता है |
सबसे पहले जान लेते है 15 अगस्त और 26 जनवरी में अंतर
15 अगस्त 1947 को हमारा देश ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हुआ था इस दिन हम स्वतंत्रता दिवस मनाते है और 26 जनवरी 1950 को हमने अपने देश के लिए एक संविधान बनाकर उसे लागू किया था इसलिए हम इस दिन गणतंत्र दिवस मनाते है।
अब जानते है झंडा रोहण और झंडा फहराने में अंतर
26 जनवरी को हमारा संविधान लागू हुआ इस दिन देश के राष्ट्रपति दिल्ली के कर्तव्य पथ पर पहले से ही पोल में ऊपर बंधे झंडे को रस्सी खोलकर फहराते है इसे झंडारोहण नही झंडा फहराना कहते है।
लेकिन 15 अगस्त पर इसे झंडा फहराना नही झंडा रोहन कहते है झंडारोहण का अर्थ होता है झंडे को रस्सी की मदद से पोल के टॉप पर पहुंचना और उसे फहराया जाता है।
1947 में ध्वजारोहण ब्रिटिश राज से आजादी का प्रतीक माना गया और पहले इसे लॉर्ड माउंटबेटन झंडा रोहण करने वाले थे लेकिन वे खुद ब्रिटिश थे इसलिए जवाहर लाल नेहरू ने झंडा रोहण किया तब से ये परंपरा है की इस दिन पीएम ही ध्वजारोहण करते है और राष्ट्रपति हमारे संवैधानिक प्रमुख है इसलिए वे 26 जनवरी को झंडा फहराते है।