आज हम जान रहें है राजस्थान के प्रसिद्ध लोकदेवता पाबूजी राठौड़ के बारे में तो पढ़ने लिखने वाले और सभी अभ्यर्थी इसे ध्यान से पढ़ें।
पाबूजी के बारे में
- पाबूजी की पूजा राजस्थान, गुजरात और पाकिस्तान के सिंध तक होती है इन्हें ऊंटो का देवता माना जाता है।
लोकदेवता पाबूजी महाराज का जीवन परिचय |
पाबूजी राठौड़ का जीवन परिचय
जन्म | 1239 ई. (1296 विक्रमी संवत्) |
जन्म स्थान | कोलूमंड (फलौदी जिला) |
पिता का नाम | धांधल जी राठौड़ |
माता जी का नाम | कमला दे |
पत्नी का नाम | फूलम दे (सुप्पयार दे) NOTE:- अमरकोट के सूरजमल सोढा की पुत्री |
फेरे | साढ़े तीन फेरे |
गुरु का नाम | समरथ भारती |
अवतार | लक्ष्मण जी का |
घोड़ी | केसर-कालमी (देवल चारणी की घोड़ी) |
प्रतिक चिन्ह | भालाधारी अश्वारोही (बाईं ओर झुकी हुई पाग) |
उपनाम | 1. प्लेग रक्षक देवता 2. उंटो के देवता 3. गौ रक्षक देवता 4. मेहर यानी मुसलमानो के देवता |
सहयोगी | चांदा, डेमा और हरमल |
देचू का युद्ध का इतिहास
कहां हुआ | फलौदी जिला राजस्थान |
कब हुआ | 1276 ई. में |
युद्ध का कारण | जींदराव खींची देवल चारणी की गायों को लेकर चला गया था |
किसके बीच हुआ | जींदराव खींची और पाबूजी के बीच |
NOTE | जींदराव खींची पाबूजी के बहनोई थे और वे जायल फलौदी के थे। इस युद्ध में पाबूजी गायों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए और उनकी पत्नी सती हुई थी। |
पाबूजी राठौड़ के बारे में अन्य बातें
पाबूजी के प्रमुख अनुयायी | 1. रायका, रैबारी और देवासी जाति 2. चारण और राठौड़ जाति 3. नायक जाति |
प्रमुख नृत्य | थाली नृत्य |
पाबूजी की फड़ | 1. राजस्थान की सबसे लोकप्रिय फड़ 2. इसका वाचन भील या नायक जाति के भोपे द्वारा किया जाता है 3. वाद्ययंत्र :- रावणहत्था |
पाबूजी के फवाड़े | 1. पाबूजी की लोकगाथा का गुणगान करना 2. वाद्ययंत्र :- माठ |
मंदिर | कोलूमंड (फलौदी) |
पाबूजी का मेला जब लगता है? | चैत्र अमावस्या को |
पाबू प्रकाश किसने लिखा? | आशिया मोडजी (यह पाबूजी के जीवन पर आधारित ग्रंथ है |
NOTE | पाबूजी को राज्य में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय दिया जाता है और ऊंट के बीमार पड़ने पर पाबूजी की पूजा की जाती है। |
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