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राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों की पूरी जानकारी कब, क्या और कैसे हुआ

Rajasthan Ka Ekikaran Itihas 7 Charno Ki History In Hindi

आजादी के समय राजस्थान में 19 रियासते, 3 ठिकाने और एक केंद्र शासित प्रदेश था। 

3 ठिकाने - लावा, कुशलगढ़ और नीमराना

1 केंद्र शासित प्रदेश - अजमेर-मेरवाड़ा 

NOTE:- टोंक राजस्थान की उस समय एकमात्र मुस्लिम रियासत थी।

अब भारतीय राजनेताओं पर दबाव था इन सभी रियासतों, ठिकानों को एकीकृत करना जो काम भली भांति सरदार वल्लभ भाई पटेल और अन्य राजनेताओं ने मिलकर किया उसे समय सरल भाषा में पूरा समझेंगे। 

राजस्थान का एकीकरण | Unification of Rajasthan In Hindi 

पहले जान लेते है राजस्थान के एकीकरण की कुछ महत्वपूर्ण बातें 

  • भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 8 में कहा गया की अंग्रेजो तथा देशी रियासतों के बीच अबतक हुई सारी संधियां समाप्त हो जाएंगी। 
  • 5 जुलाई 1947 को रियासती सचिवालय की स्थापना की गई जिसके अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल और सचिव वी पी मेनन बनाए गए। 
  • इसके बाद रियासती विभाग ने घोषणा की 10 लाख से अधिक जनसंख्या और 1 करोड़ से ज्यादा आय वाली देशी रियासते स्वतंत्र रह सकती है। 
राजस्थान में ऐसी 4 रियासते थी - मेवाड़, मारवाड़, जयपुर और बीकानेर 
  • राजस्थान के एकीकरण से पहले मेवाड़ महाराणा भूपाल सिंह ने मेवाड़, गुजरात और मालवा की रियासतों को मिलाकर राजस्थान यूनियन बनाने का प्रयास किया था इसके लिए उन्होंने 25 जुलाई 1946 को उदयपुर में सम्मेलन किया गया। 

राजस्थान के एकीकरण के 7 चरणों पर प्रकाश डालते हैं 

प्रथम चरण 

मत्स्य संघ - 18 मार्च 1948 कुछ लोग 17 मार्च 1948 भी लिखते है 

मत्स्य संघ ने 4 रियासते शामिल थी और एक ठिकाना 

अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर और निमराना 

मत्स्य संघ में राजप्रमुख धौलपुर के उदयभान सिंह 

उपराजप्रमुख :- करौली के गणेश गोपाल 

राजधानी :- अलवर 

उद्घाटन:- 18 मार्च 1948 

मुख्य अतिथि:- N.V. गाडविल 

प्रधानमंत्री (PM):- शोभाराम कुमावत 

उपप्रधानमंत्री :- जुगल किशोर चतुर्वेदी 

मत्स्य संघ का नामकरण:- K. M. मुंशी 

NOTE:- आपको बता दें कि रियासत अलवर और भरतपुर पर भारत सरकार ने पहले ही अधिकार कर लिया था। 

दूसरा चरण 

नाम:- राजस्थान संघ / पूर्व राजस्थान 

रियासतें :- कोटा, बूंदी, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, झालावाड़, प्रतापगढ़, टोंक, किशनगढ़, कुशलगढ़ और शाहपुरा 

राजप्रमुख:- कोटा के भीमसिंह 

वरिष्ठ उपराजप्रमुख:- बूंदी के बहादुर सिंह 

कनिष्ठ उपराजप्रमुख:- डूंगरपुर के लक्ष्मण सिंह 

राजधानी:- कोटा 

प्रधानमंत्री:- गोकुल लाल असावा 

उद्घाटन :- 25 मार्च 1948 

मुख्य अतिथि:- N.V. गाडविल 

NOTE:- 

  • शाहपुरा और किशनगढ़ रियासतों में केंद्र शासित प्रदेश अजमेर और मेरवाड़ा से मिलने से मना कर दिया था। 
  • शाहपुरा और किशनगढ़ रियासतों को तोपों से सलामी नही दी जाती थी क्योंकि वे राजस्थान की सबसे छोटी रियासतें थी। 
  • इसपर हस्ताक्षर करते समय बांसवाड़ा महाराणा चंद्रवीर सिंह ने कहा कि मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं। 

तीसरा चरण 

नाम :- संयुक्त राजस्थान 

रियासतें:- राजस्थान संघ+ मेवाड़ 

राजप्रमुख:- भूपाल सिंह (मेवाड़) 

वरिष्ठ उपराजप्रमुख:- भीमसिंह कोटा

कनिष्ठ उपराजप्रमुख:- बहादुर सिंह (बूंदी) और लक्ष्मण सिंह (डूंगरपुर) 

प्रधानमंत्री:- माणिक्यलाल वर्मा 

उपप्रधानमंत्री:- गोकुल लाल असावा 

राजधानी:- उदयपुर 

शर्तें:- 1. विधानसभा का एक सत्र कोटा में होगा और कोटा के विकाश के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। 

2. भूपालसिंह ने 20 लाख रुपए प्रिविपर्स की मांग की थी 

10 लाख प्रिविपर्स + 5 लाख राजप्रमूख का वेतन + 5 लाख धार्मिक अनुदान 

उद्घाटन:- 18 अप्रैल 1948 को पंडित जवाहरलाल नेहरू की उपस्थित में 

NOTE:- 19 जुलाई 1948 को लावा ठिकाने को जयपुर रियासत में मिला दिया गया था। 

चौथा चरण 

नाम:- वृहत राजस्थान 

रियासतें:- संयुक्त राजस्थान + जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर 

महाराज प्रमुख :- भुपाल सिंह मेवाड़ 

राजप्रमुख:- सवाई मानसिंह 2 (जयपुर) 

वरिष्ठ उपराजप्रमुख:- हनवंत सिंह (जोधपुर) और भीमसिंह (कोटा) 

कनिष्ठ उपराजप्रमुख:- बहादुर सिंह (बूंदी) और लक्ष्मण सिंह (डूंगरपुर) 

प्रधानमंत्री :- हीरालाल शास्त्री 

उद्घाटन :- 30 मार्च 1949 जयपुर में (राजस्थान दिवस के रूप में मनाते है।)

उद्घाटन कर्ता:- सरदार वल्लभ भाई पटेल 

राजधानी विवाद 

जयपुर और जोधपुर के लिए उस समय राजस्थान की राजधानी बनने को लेकर विवाद था उसे सुलझाने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल के समिति का गठन किया। 

समिति के सदस्य:- बी.आर. पटेल, एच.सी. पुरी, एच.वी. सिन्हा

इस समिति ने विवाद को सुलझाते हुए जयपुर को राजधानी बनाया 

उच्च न्यायालय:- जोधपुर 

शिक्षा विभाग:- बीकानेर 

खनिज विभाग :- उदयपुर 

वन एवं सहकारी विभाग :- कोटा 

प्रिविपर्स:- जयपुर 18 लाख, जोधपुर 17.5 और बीकानेर का 17 लाख रुपए तय हुआ। 

पांचवा चरण 

नाम:- संयुक्त वृहतर राजस्थान 

रियासतें:- वृहत राजस्थान+ मत्स्य संघ 

मत्स्य संघ का विलय कब हुआ :- 15 मई 1949 

यह विलय विजय शंकर रावदेव समिति की सिफारिश पर किया गया था 

समिति:- विजय शंकर राव देव (अध्यक्ष), R.K. सिद्धवा और प्रभुदयाल (अन्य सदस्य)

NOTE:- मत्स्य संघ के पीएम शोभाराम कुमावत को शास्त्री मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। 

छठा चरण

नाम :- राजस्थान 

विलय:- 26 जनवरी 1950 

रियासतें:- संयुक्त वृहतर राजस्थान में + सिरोही 

(NOTE:- आबू और देलवाड़ा सहित 89 गांव गुजरात में और बाकी का सिरोही राजस्थान में मिला दिया गया। इसमें गोकुल भाई भट्ट का हयाल गांव भी शामिल था) 

इस विलय पर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था कि राजस्थान वालों को गोकुल भाई भट्ट चाहिए था वो हमने दे दिया। 

संविधान लागू होने के बाद हीरालाल शास्त्री को राजस्थान का पहला मनोनित मुख्यमंत्री बनाया गया। 

सातवा चरण 

  • फ़ज़ल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया गया। 
  • अन्य सदस्य (K.M. पणीक्कर और हदयनाथ कुंजरू) 

फ़ज़ल अली आयोग की सिफारिशें

  • आबू और देलवाड़ा राजस्थान में मिलाए गए।
  • अजमेर और मेरवाड़ा को राजस्थान में मिलाया गया। 
  • मध्यप्रदेश का सुनेल टप्पा राजस्थान में मिलाया गया। 
  • राजस्थान का सिरोंज मध्यप्रदेश में मिलाया गया। 
NOTE:- इसके बाद 1 नवंबर 1956 को राजस्थान का एकीकरण हुआ। 

राजस्थान के एकीकरण के बाद की कुछ महत्वपूर्ण बातें 

  • 1 नवंबर 2000 को एमपी से छत्तीसगढ़ अलग हुआ और राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य बन गया। 
  • साल 1956 में सातवां संविधान संशोधन किया गया और राजप्रमुख के पद को हटा दिया गया और राज्यपाल का पद लाया गया। 
  • इसके बाद राजस्थान के पहले राज्यपाल सरदार गुरमुख निहाल सिंह बने। 
  • साल 1971 में 26वां संविधान संशोधन कर राजाओं को मिलने वाले प्रिविपर्स पर रोक लगा दी गई। 
  • अजमेर पहले केंद्रशासित प्रदेश हुआ करता था जिसमें धारा सभा होती थी जिसके 30 सदस्य होते थे और अजमेर के मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय थे जिन्होंने अजमेर और मेरवाड़ा का राजस्थान में विलय का विरोध भी किया था। 

NOTE:- इसके बाद जयपुर और अजमेर में राजधानी को लेकर विवाद हुआ और फिर एक समिति बनाई गई। 

समिति के सदस्य:- सत्यनारायण राव, वी. विश्वनाथन और वी. के. गुप्ता 

इस समिति ने जयपुर को ही राजधानी बनाने की सिफारिश की और अजमेर को राजस्व विभाग मिला। 

मैं निशु राजपूत अलवर राजस्थान का रहने वाला हूं पढ़ाई में एम.ए. कर चुका हूं और बहुत सालों से क्रिकेट से संबंधित और स्टूडेंट्स के लिए सरकारी नौकरी और योजनाओं की जानकारी दे रहा हूं।

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