- हिमाचल प्रदेश की विधानसभा ने लड़कियों के विवाह की कानूनी आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने वाला विधेयक 27 अगस्त 2024 को पारित कर दिया है।
विधेयक में कहा गया है की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है लेकिन कम उम्र में विवाह उनके करियर से लेकर उनके स्वास्थ्य सभी में बाधा बन रहा है।
हिमाचल प्रदेश में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 साल करने वाला विधेयक पारित |
बाल विवाह निषेध (हिमाचल प्रदेश संशोधन विधेयक 2024)
इसके तहत राज्य में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में संशोधन किया गया है और महिलाओं की शादी की उम्र भी पुरुषों के बराबर 21 वर्ष कर दी गई है।
इससे पहले केंद्र में एक बाल विवाह निषेध 2021 लोकसभा में निष्प्रभावी हो गया था इस विधेयक का उद्देश्य पुरुषों और महिलाओं की शादी की उम्र बराबर करना था।
साल 2021 का ये विधेयक जया जेटली की समिति की सिफारिशों पर आधारित था।
विधेयक में क्या क्या है खास
- बालिग होने की उम्र अब 18 साल ना होकर हिमाचल प्रदेश में 21 साल हो गई है।
- यह विधेयक सभी पर लागू होगा चाहे वो किसी भी धर्म का हो किसी भी जाति का बस वो हिमाचल प्रदेश का मूल निवासी होना चाहिए।
- अगर किसी लड़के या लड़की की उम्र 21 साल से कम है और उनकी शादी करा दी जाती है तो अब शादी शून्य करवाने के लिए 5 साल की अवधि दी गई है जो पहले 2 साल की थी।
- यानी किसी की शादी 21 साल से कम में हो जाती है तो वो बालिग होने के 5 साल के भीतर अपनी शादी शून्य करवा सकता है।
भारत में विवाह आयु से संबंधित पहले भी बने है कानून
- बाल विवाह निषेध अधिनियम 1929 यानी शारदा अधिनियम: इसके तहत भारत में विवाह की आयु लड़कियों की 14 वर्ष और लड़कों की 18 वर्ष कर दी गई थी।
- बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006: इसने बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए 1929 के अधिनियम की जगह ली इसमें पुरुषों की शादी की उम्र 21 और महिलाओं की 18 कर दी गई।
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महिलाओं के विवाह की आयु बढ़ाने के लाभ
- समानता का अधिकार मिलेगा: भारत में पुरुषों की शादी की उम्र 21 वर्ष है लेकिन महिलाओं की 18 वर्ष लेकिन इससे समाज ने असमानता जा संदेश जाता है लेकिन शादी की उम्र एक समान करके हम संविधान की लैंगिक समानता को साकार रूप से रहें है।
- महिलाओं की शिक्षा और रोजगार के ज्यादा अवसर मिलेंगे: अभी तक क्या था की माता पिता अपनी बेटी को 12वीं तक या 18 साल की होने तक पढ़ाते थे लेकिन बाद में शादी कर देते थे और ससुराल वालों के भरोसे छोड़ देते थे लेकिन अब जब 21 साल तक शादी नही होगी तो लड़कियों के पास ग्रेजुएशन तक पढ़ने का मौका और नौकरी तलाश करने की छूट भी मिलेगी।
- माताओं के प्रजनन स्वास्थ्य में लाभ: कम उम्र में शादी हो जाने के बाद लड़कियों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है लेकिन जब परिपक्व माता पिता होंगे तो लड़कियों के स्वास्थ्य पर भी इसका असर साफ देखा जा सकेगा।
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को भी महसूस होगा की उन्हे भी देश में पुरुषों के बराबरी के हक है और वे अपने आप को शसक्त महसूस करेंगी।
महिलाओं/लड़कियों के विवाह की आयु बढ़ाने के संभावित नुकसान और चिंताएं
- असवैधानिक विवाहों का प्रचलन बढ़ सकता है: इस कानून से हमारे समाज के ऐसे वर्ग जो कम उम्र में लड़कियों की शादी करते है वे अवैधानिक विवाह कर सकते है।
- पितृसत्तात्मक समाज में समानता नहीं ला सकता: भारत की व्यवस्था पितृसत्तात्मक है जहां पर महिलाओं को कानून से समान अधिकार होने पर भी समाज ने उन्हें बराबरी का मौका नहीं मिलता और इस कानून से ये और बढ़ सकता है।
महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के लिए उठाए जा सकने वाले कदम
- यौन शिक्षा और स्त्री पुरुष समान है इन सबको हमारे पाठ्यक्रमों में शामिल करना चाहिए: भारत में स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया जाना चाहिए की स्त्री पुरुष समान होते है और उनमें कोई भेदभाव नही किया जाना चाहिए।
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