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आज का इतिहास: आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा की 148वीं जयंती अंग्रेजो ने स्लो पॉइजन देकर मार डाला जानें पूरा जीवन परिचय | 15 नवंबर

Today's History: 148th birth anniversary of tribal god Birsa Munda. The British killed him by giving him slow poison. Birsa Munda Biography In Hindi

15 नवंबर आज का इतिहास जुड़ा हुआ है आदिवासियों के भगवान कहे जानें वाले बिरसा मुंडा से आज उनकी 148वीं जयंती मनाई जा रही है जिसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी झारखंड में आदिवासियों के बीच पहुंच गए है। 

बिरसा मुंडा एक ऐसी शख्सियत जो बचपन में ईसाई बन गए थे लेकिन जब सच्चाई का पता चला तो अंग्रेजो और ईसाई मिशनरियों के खिलाफ ही हथियार उठा लिए तो अंग्रेजो ने मात्र 25 साल की उम्र ने उन्हें स्लो पॉइजन देकर मार दिया आज हम इनके बारे में सबकुछ जानने वाले है तो लेख थोड़ा बड़ा हो सकता है। 

लेकिन उससे पहले आपके लिए खास जानकारी: यह सीरीज आज का इतिहास नाम से मैने शुरू की है सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे बच्चो और अच्छी जानकारी लेने वाले लोगो के लिए तो अगर आप तैयारी कर रहे है और आगे भी ऐसी ही सामग्री अपने टेलीग्राम और व्हाट्सएप पर पाना चाहते है तो नीचे लिंक है Follow कर लेना। 

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बिरसा मुंडा जीवनी| Birsa Munda Biography 

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को उलिहातु गांव, रांची झारखंड में हुआ जो अब वर्तमान में खूंटी जिले में पड़ता है। 

यह गांव पूरा मुंडा जनजाति के लोगो का है बिरसा मुंडा का जन्म भी सुगना मुंडा (पिता) और करमी मुंडा (माता) के घर एक गरीब परिवार में हुआ। 

इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सागला गांव के मास्टर जयपाल नाग से ग्रहण की बाद में इनके टीचर जयपाल नाग ने इनको जर्मन मिशनरी स्कूल ज्वाइन करने के लिए कहा। 

उसके बाद बिरसा ने ईसाई स्कूल के साथ साथ धर्म भी अपना लिया और अपना नाम भी बदलकर बिरसा डेविड रख लिया।

लेकिन जब अंग्रेज मिशनरियों से आदिवासियों के रीति रिवाजों की बुराई भलाई करते थे तो बिरसा मुंडा को यह बात बिलकुल अच्छी नही लगती थी तो उन्होंने उसी समय इसका विरोध करने की ठान ली। 

Birsa Munda Jayanti, Biography & History In Hindi
बिरसा मुंडा जयंती, इतिहास और जीवन परिचय 

मुंडा विद्रोह और बिरसा मुंडा 

1 अक्टूबर 1894 को बिरसा मुंडा ने सभी मुंडा जनजाति के लोगो को एकत्र कर अंग्रेजो के खिलाफ कर माफी के लिए आंदोलन शुरू कर दिया इसे ही मुंडा आंदोलन या उलगुलान कहा जाता है। 

उसके बाद बिरसा मुंडा को 1895 में गिरफ्तार कर लिया गया और हजारीबाग केंद्रीय कारावास में दो वर्ष की सजा सुनाई गई।

बिरसा मुंडा (Birsa Munda)
बिरसा मुंडा को गिरफ्तार करके ले जाते अंग्रेज सैनिक

ईसाई बने लेकिन बाद में मिशनरियों के धर्म परिवर्तन को ही खुली चुनौती दी

ईसाई धर्म के प्रचारक कहते थे यदि आदिवासी धर्म परिवर्तन कर लेते है तो महाजनों ने उनकी जो जमीनें छीनी है वे उनकी वापस मिल जायेगी। 

अपनी जमीनें वापस पाने के लिए लोग ज्यादा से ज्यादा ईसाई बनने लगे इसे देखकर बिरसा को लगा की अंग्रेजो की बातो में दम नहीं ये कहते है वो करते नही है। 

खुद का धर्म शुरू किया और बन गए लोगो के दिलो में भगवान 

जब बिरसा को ईसाई मिशनरियों की सच्चाई का पता चला तो उन्होंने वापस अपना एक धर्म बनाने की सोची जिसे एक बिरसाइत कहा जाता है। 

इसके बाद बिरसा ने अपने धर्म प्रचार के लिए 12 शिष्यों को नियुक्त किया और मुख्य शिष्य सोमा मुंडा को बनाया और उन्हे अपने धर्म की पुस्तक सौंप दी। 

भगवान का दर्जा बिरसा को जब मिला जब वो स्वामी आनंद पांडे से मिले और उन्होंने उन्हे हिंदू धर्म और महाभारत का ज्ञान दिया। 

साल 1895 में कुछ ऐसी घटनाएं घटी जिसके बाद लोग उन्हें भगवान मानने लगे और कहने लगे की बिरसा को छू लेने भर से उनके रोग गायब हो जाते है। 

मुंडा जनजाति के लोग उन्हें धरती आबा यानी धरती का पिता कहने लगे। 

बिरसा ने अपने समर्थकों के साथ खूंटी थाने पर बोला धावा

अगस्त 1887 में बिरसा मुंडा ने अपने चार सौ सिपाहियो के साथ खूंटी थाने पर चढ़ाई कर दी उसके बाद 1898 में मुंडाओं और अंग्रेजों के बीच तांगा नदी के किनारे लड़ाई हुई जिसमें मुंडा जनजाति की जीत हुई। 

लेकिन उसके बाद अंग्रेज शांत नही बैठे इसके बाद इस इलाके से मुंडा नेताओ को गिरफ्तारी की गई। 

बिरसा मुंडा और उनके समर्थकों की गिरफ्तारी 

जनवरी 1900 में बिरसा डोंबरी पहाड़ पर एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे जहां अंग्रेजो ने जलियांवाला बाग जैसा हत्याकांड किया और कई बच्चों और औरतों की हत्याएं हुई और बिरसा मुंडा के समर्थको को गिरफ्तार कर लिया गया। 

उसके कुछ दिन बाद 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर के जामकोपाई जंगल से खुद बिरसा मुंडा को भी अंग्रेजों के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। 

क्या आप जानते है बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के पीछे अपनो का ही हाथ था क्योंकि उस समय इनपर 500 रुपए का इनाम था जिसके लालच में आकर उन्हें अपने ही कुछ लोगो ने गिरफ्तार करवा दिया था। 

9 जून 1900 को शहीद हुए भगवान बिरसा मुंडा 

कहा जाता है की जेल में अंग्रेजों द्वारा बिरसा मुंडा को स्लो पॉइजन दिया गया जिसके कारण उनकी मृत्यु हुई। 

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आदिवासी गौरव दिवस 2023 

भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने 10 नवंबर 2021 को स्वतंत्रता सेनानियो के योगदान को याद करते हुए 15 नवंबर को आदिवासी गौरव दिवस मनाने का फैसला किया था। 

बिरसा मुंडा (Birsa Munda)
बिरसा मुंडा स्टांप

इस बार भी आदिवासी गौरव दिवस 15 नवंबर 2023 को मनाया जा रहा है उसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी रांची पहुंच चुके है। 

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मैं निशु राजपूत अलवर राजस्थान का रहने वाला हूं पढ़ाई में एम.ए. कर चुका हूं और बहुत सालों से क्रिकेट से संबंधित और स्टूडेंट्स के लिए सरकारी नौकरी और योजनाओं की जानकारी दे रहा हूं।

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