राजस्थान को वीरों की भूमि कहा जाता है यहां के राजपूत राजाओं ने हमेशा विदेशी आक्रांताओं से लोहा लेने में कभी खौफ नहीं खाया।
राजपूत राजाओं को किलो और महलों का शौक रहा और उन्होंने राजस्थान में अनेकों किले बनवाए जिनके बारे में हम इस सीरीज में जानेंगे आपको नीचे सभी किलो की जानकारी का लिंक मिल जायेगा इस सीरीज में हर रोज शाम 4 बजे एक किले के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
राजस्थान में भारत के सबसे ज्यादा किले नही पाए जाते इसमें हमारा स्थान तीसरा है पहला स्थान महाराष्ट्र का है जहां सबसे अधिक किले और दुर्ग पाए जाते है।
राजस्थान का सबसे प्राचीन किला भटनेर का किला हनुमानगढ़ में स्थित है और सबसे नवीनतम किला मोहनगढ़ जैसलमेर में है।
श्यामलदास के अनुसार मेवाड़ के 84 दुर्गों में से 32 का निर्माण राणा कुम्भा ने अपने कार्यकाल में करवाया था और ये ही राजपूताना में सर्वाधिक दुर्गों के निर्माता है।
पश्चिमी राजस्थान में सर्वाधिक किलो का निर्माण राव मालदेव ने करवाया था।
दुर्गों के प्रकार
दुर्गा के प्रकार को लेकर विद्वान एकमत नहीं है।
मनुस्मृति के अनुसार:- 6 प्रकार के
कौटिल्य के अनुसार:- 4 प्रकार के
शुक्रनीति के अनुसार:- 9 प्रकार के
कौटिल्य के अनुसार किले
- औदक दुर्ग:- चारों ओर जल से घिरा हुआ
- धान्वन दुर्ग:- रेगिस्तान में निर्मित किला
- गिरी दुर्ग:- पहाड़ी पर बनाया गया किला
- वन दुर्ग:- जो चारो ओर जंगल या वन से घिरा हुआ हो
शुक्र के अनुसार किले
- पारिख दुर्ग: जिस दुर्ग के चारो ओर खाई हो
- पारिध दुर्ग: जिस दुर्ग के चारो ओर परकोटा या दीवार हो
- धान्वन दुर्ग: ऐसा किला जिसे मरुस्थल के बीच में बनाया जाए
- एरण दुर्ग: जिसके चारो ओर पथरीला रास्ता या झाड़ियां हों
- वन दुर्ग: जो किला चारो ओर वन से घिरा हो
- जल दुर्ग: जो चारो ओर जल से घिरा हो
- गिरी दुर्ग: जो पहाड़ी पर बनाया जाए
- सैन्य दुर्ग: जिसे सैनिकों के लिए बनाया जाए
- सहाय दुर्ग: जिस किले को अपने भाई बंधुओ और रिश्तेदारों के लिए बनाया जाए
UNESCO द्वारा विश्व धरोहर में शामिल किए गए किले
- आमेर किला (जयपुर)
- गागरौन किला (झालावाड़)
- सोनार किला (जैसलमेर)
- रणथंभौर किला (सवाई माधोपुर)
- कुंभलगढ़ किला (राजसमंद)
- चित्तौड़गढ़ किला (चित्तौड़गढ़)